Skip to main content

इन्द्रप्रस्थ रणभेरी

जब बहरे हुक्मरानों को,
ना फरियाद सुनाई दे.
तब तब गलियों कूचों में,
रणभेरी सर्वत्र सुनाई दे !

                        सु.स.!

Comments

Popular posts from this blog

इंद्रप्रस्थ: भविष्य का ऐतिहासिक राज्य

                        इंद्रप्रस्थ: भविष्य का ऐतिहासिक राज्य                                          @ सुनील सत्यम देश के प्राचीनतम राज्यों में से यदि किसी एक ऐसे राज्य का उदाहरण लिया जाए जो राजनैतिक रूप से आज अस्तित्व मे नही है लेकिन उसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है , तो उस राज्य का सही नाम होगा इंद्रप्रस्थ। इंद्रप्रस्थ एक भौगोलिक वास्तविकता है जिसे आज नही तो कल हम व्यावहारिक रूप मे अस्तित्व मे आते हुए देखेंगे। महाभारत कालीन भरत वंश की राजधानी हस्तीनापुर थी जो वर्तमान मे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के अंतर्गत स्थित है।वास्तव में महाभारत काल में भरत राजवंश में कुरु-पांचाल दोनों शामिल थे। इनमे से कुरु राज्य (महाजनपद) आधुनिक मेरठ , दिल्ली तथा हरियाणा के थानेश्वर के भू-भागों मे स्थित था। इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ (वर्...

दिल्ली (इंद्रप्रस्थ): को चाहिए विस्तार-2

      पहले के अपने एक लेख में मैं इंद्रप्रस्थ राज्य के बारे में विस्तार से वर्णन कर चुका हूं।दिल्ली एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों को मिलाकर दिल्ली को विस्तार देकर ए...

इन्द्रप्रस्थ की स्थापना की जाये..

हरित प्रदेश का असामयिक एवं बेसुरा , अतार्किक राग अलापने वाले अजीत सिंह की इस समय अलग प्रदेश के मसले पर चुप्पी आश्चर्य चकित करने वाली बिलकुल नहीं है. कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है लेकिन इसमे आश्चर्य की कोई बात नहीं है . हरित प्रदेश का मसाला अजीत के लिए एक चुनावी मुद्दा मात्र है..इसकी अवधारणा तक उनकी नहीं.सबसे पहले यह नाम पूर्व विधायक निर्भय पल शर्मा ने किया था..बाद में यह पूरा मसाला ही अजीत सिंह ने हथिया लिया. अब जबकि उत्तर प्रदेश में २०१२ का विधान सभा चुनाव सिर पर है और अजीत सिंह ने इस चुनावी मसले पर चुप्पी साधी हुई है. ऐसा अकारण नहीं है..वास्तव में सूत्रों के अनुसार अजीत सिंह चुनावी तालमेल के लिए कांग्रेस के संपर्क में है..यहाँ तक की उनकी पार्टी का, अजीत को कांग्रेस में सम्मान जनक रूप से समाहित होने की शर्त पर, विलय भी हो सकता है..अतः अजीत जी के लिए फायदे का सौदा यही है की वह तात्कालिक रूप से उनकी नजर में लाभरहित इस मुद्दे पर चुप रहे. मै छोटे राज्यों का पक्षधर हूँ.देश के त्वरित, एवं संतुलित विकास के लिए जरुरी है की इसको ५० छोटे राज्यों में बांटा जाये. दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्...