Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2011

जरुरत है खादर संस्कृति के उत्थान,प्रचार , एवं प्रसार की.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का खादर क्षेत्र एक भौगोलिक एवं सांस्कृतिक इकाई है. इस क्षेत्र की अपनी विविध संस्कृति है.उपजाऊ मिटटी के लिए सारी दुनिया के चुनिन्दा क्षेत्रों में यह शामिल है.वैसे तो हम दिल्ली से लेकर यमुना नदी के उत्तर के विशाल मैदान में प्रवेश करने के स्थान पौंटा साहिब (हिमाचल प्रदेश) तक इसका अस्तित्व मान सकते है.इसमें मुख्यतः हम गंगा- यमुना के दोआब को शामिल करते है.लेकिन यमुना के तटों के सामानांतर खादर क्षेत्र की विशिष्टताएं अधिक स्पष्ट है. सांस्कृतिक रूप से धनी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है, जो विलुप्त होती जा रही है..संगीत का विश्व प्रसिद्द किराना घराना इसी क्षेत्र की दें है लेकिन अपने जन्मस्थान कैराना से यह लगभग गायब हो चुका है. स्वांग परम्परा के लिए यह क्षेत्र विख्यात रहा है लेकिन इस विधा को सरंक्षण न मिलने के कारन यह विधा लगभग दम तोड़ चुकी है. रागिनी गायकी अभी तक जीवित है वह भी व्यक्तिगत प्रयासों से. वास्तव में अपनी समृद्ध संस्कृति होते हुवे भी इस क्षेत्र में अपनी संस्कृति के प्रति विशेष अनुराग का अभाव रहा है.यही कारण रहा है की इस क्षे

इन्द्रप्रस्थ की स्थापना की जाये..

हरित प्रदेश का असामयिक एवं बेसुरा , अतार्किक राग अलापने वाले अजीत सिंह की इस समय अलग प्रदेश के मसले पर चुप्पी आश्चर्य चकित करने वाली बिलकुल नहीं है. कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है लेकिन इसमे आश्चर्य की कोई बात नहीं है . हरित प्रदेश का मसाला अजीत के लिए एक चुनावी मुद्दा मात्र है..इसकी अवधारणा तक उनकी नहीं.सबसे पहले यह नाम पूर्व विधायक निर्भय पल शर्मा ने किया था..बाद में यह पूरा मसाला ही अजीत सिंह ने हथिया लिया. अब जबकि उत्तर प्रदेश में २०१२ का विधान सभा चुनाव सिर पर है और अजीत सिंह ने इस चुनावी मसले पर चुप्पी साधी हुई है. ऐसा अकारण नहीं है..वास्तव में सूत्रों के अनुसार अजीत सिंह चुनावी तालमेल के लिए कांग्रेस के संपर्क में है..यहाँ तक की उनकी पार्टी का, अजीत को कांग्रेस में सम्मान जनक रूप से समाहित होने की शर्त पर, विलय भी हो सकता है..अतः अजीत जी के लिए फायदे का सौदा यही है की वह तात्कालिक रूप से उनकी नजर में लाभरहित इस मुद्दे पर चुप रहे. मै छोटे राज्यों का पक्षधर हूँ.देश के त्वरित, एवं संतुलित विकास के लिए जरुरी है की इसको ५० छोटे राज्यों में बांटा जाये. दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्